जयपुर न्यूज डेस्क: राजस्थान में पंचायत चुनाव को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक ओर, प्रदेशभर के सरपंचों ने 6 दिसंबर को जयपुर कूच करने की योजना बनाई है, जबकि दूसरी ओर, पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर ने पंचायत चुनाव के फैसले को कैबिनेट पर छोड़ दिया है। जनवरी में 40 प्रतिशत सरपंचों का कार्यकाल समाप्त होने वाला है, लेकिन अब तक चुनावों के बारे में कोई स्पष्टता नहीं आई है, जिससे सरपंचों में गुस्सा है।
सरपंचों के नेताओं ने जयपुर कूच के लिए रणनीति बनाई और 6 दिसंबर को महापड़ाव का आयोजन करने का ऐलान किया। अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो वे अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने का भी मन बना चुके हैं। इसके अलावा, 3 और 4 दिसंबर को ब्लॉक स्तर पर चर्चा आयोजित की जाएगी ताकि महापड़ाव को सफल बनाया जा सके। खास बात यह है कि सरपंचों के दो संगठन—राष्ट्रीय सरपंच संघ और सरपंच संघ—अब एकजुट हो गए हैं।
राजस्थान में पंचायतों की संख्या बहुत बड़ी है, जिसमें 11,320 सरपंच, 1,09,228 पंच, 6,995 पंचायत समिति सदस्य, और 1,014 जिला पंचायत सदस्य हैं। इन सभी को लेकर चुनाव की स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है, और इससे जन आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
मदन दिलावर ने पंचायत चुनाव के बारे में कहा कि निर्णय कैबिनेट करेगी और यह पंजाब या झारखंड की तर्ज पर नहीं, बल्कि राजस्थान सरकार के अनुसार ही होगा। साथ ही, सरपंचों ने पंचायतों का फंड जल्द जारी करने की मांग की है और यह भी स्पष्ट किया है कि प्रशासनिक अधिकारियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब देखना यह होगा कि 6 दिसंबर को जयपुर कूच से पहले सरकार पंचायत चुनाव पर क्या निर्णय लेती है।